“Your Mentality shapes your Reality”
Name :- Nikita Sonwane, Maharastra
युमेत्ता एक अनोखा शब्द, जिसका अपने आप में ही बहुत सुंदर अर्थ है । जब मैंने युमेत्ता के ‘गो टु द पीपल’ शिविर के लिए आवेदन किया, तो पेहले तो इस शब्द को लेकर ही मेरे मन में जिज्ञासा थी। जब इसके अर्थ को जानने की कोशिश की, तो बहुत ही खुबसुरत इसका अर्थ सामने आया। यु – युथ याने आप और मेत्ता यह एक पाली भाषा का शब्द है, जिसका मतलब है, वैश्विक मैत्री ( Universal Friendship ) युमेत्ता के जरिए हम एक दुजे के अंदर मैत्री भाव विकसित करने का और इस भावना को निरन्तर बढ़ने के लिए एक मैत्रीपूर्ण व प्रेमपुरक वातावरण और मंच उपलब्ध कराने का प्रयास कर रहे हैं। गो टु द पीपल’ (Go To The People)और साथ ही ‘पे बॅक टु सोसायटी’ ( Pay back to society ) यह युमेत्ता शिविर का उद्देश्य है। याने कि, हमें लोगों के पास जाना है। लेकिन उससे पहले स्वयं की पहचान स्वयं को ही करनी है। यह हमारे खुद के खोज का सफर है। (Discover Yourself )
GTP का यह पहला शिविर Inward Journey पर खास तौर पर था। संत तुकाराम जी का एक अभंग है, जिसमें उन्होंने हर एक इंसान के व्यक्तिगत जीवन के शुद्धिकरण के लिए एक बहुत ही सटीक विचार उस अभंग के रूप में हम सबके सामने रखा है, –
“बैसोनि निवांत। शुद्ध करी चित्त।
तया सुख अंतपार नाही।।”
मतलब अगर हम अंतर्मुख होकर आत्मपरिक्षण करके हमारे अंदर मौजूद हुए अवगुणोंका निर्मुलन करते हैं, तो हमारे जीवन का निश्चित तौर पर शुद्धिकरण होता है। इसके लिए हमें कोई अलग आराधना करने की जरूरत नहीं। स्वयं के अंदरूनी अंधकार को पहचान कर अपने ही अंदर मौजूद प्रकाश से उसे रोशन करो। जिस प्रकार यह स्वयं को लागू हैं, बिलकुल उसी तरह से ये समाज को भी लागू होता है।
इस शिविर के जरिए ह्रदय जोड़नेवाले सेतु बनाने का उद्देश्य सफल होता हुआ नजर आया। यहां पर हमें अपनी विचार प्रक्रिया निर्दोष बनाने हेतु सिख मिली। जैसे कि पेहले दिन के सत्र में ही हमने सिखा की, जो में बोल रही हूं, वो पेहले मुझे स्पष्ट होना चाहिए। कोशिश करे कि, सच और सरल बोले, जो हमारे काम, हर कोई नाता और जिंदगी को आसान बनाने में मदद करें।
तथागत गौतम बुद्ध को हम सभी लोग जानते हैं, लेकिन उनके नाम में जो गौतम है, तो आम तौर पर हमें इसका सही अर्थ पता नहीं होता है, पेहले दिन जो मैं गौतम का अर्थ समज पायी वह ये था कि, गौ याने अंदर की आवाज ( Inner Light ) और तम याने अंधकार । और इसका पुरा अर्थ बनता है, “अंदर के प्रकाश से अपना अंधकार दूर करना। ” उनका सिध्दार्थ से बुद्ध बनने का जो सफर है, वह स्वयं से ही शुरू हुआ था। * तो बस हमें उस ओर चलने की दिशा में एक कदम उठाना है।
शिविर की थीम ही यह थी कि, ” स्वयं को ढुंढो बाकी सब गुगल पर मिल जायेगा ” यह शिविर हमें सेल्फ रिफ्लेक्शन की दिशा में आगे बढ़ने में सहायता करता है। इस जीवन में बहुत सारी समस्याओं से हमें गुजरना पड़ता है। कई बार हम उलझन में पड़ जाते हैं, अंदर से डगमगा जाते हैं, हमारा आत्मविश्वास कम होता नजर आता है, ऐसे में हमारे सारे प्रश्नों के उत्तर हमारे भीतर ही छिपे हैं केवल उन पर प्रकाश डालने की देरी है।
यह शिविर हमें स्वयं से स्वयं की मुलाकात करने मैं मदद करता है। यहां पर हम खुद की ही एक नयी आवृत्ति से मिलते हैं। यह हमारी वह छबी है, जो हर किसी के अंदर मौजूद होकर भी, हमारी कभी उससे मुलाकात ना बन पायी हो। हमें सबसे ज्यादा खुद के बारे में सोचना है। स्वयं को खोजना है। और इस खोज को हमें निरंतर बढा़ना है। स्वयं के अंदर झांककर देखो। अपनी अच्छाइयों को बढ़ाओ और बुराइयों को कम करने में जुट जाओ।
इस शिविर के छह दिन Content Full Learning तो पुरी तरह से होती है, लेकिन उसके अलावा हमें जो स्नेह भाव, मैत्रीपूर्ण वातावरण, ढेर सारा प्यार और नए दोस्तों का जो एक खजिना मिलता है, वह एक सही में इस शिविर असली कमाई है। बहुत सारे विभिन्न विचारधाराओं के, सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक पार्श्वभूमी के लोग हमें यहां इस प्लेटफार्म पर एक साथ नजर आते हैं हर किसी के अनुभव, विचार, शिक्षा अलग अलग होती है। यही सब चीजों से एक दुजे के शेअरींग से , जीवन के अनुभवों से हमें काफी सीख मिलती है।
शिविर के पेहले दिन से ही यह हमें एक परिवार की भावना दिलाता है। तिल्दा प्रयोग आश्रम का वातावरण बहुत ही शांतिपूर्ण, प्रकृति से हरभरा और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभदायक है। यहां हम मुफ्त में प्रकृति उपचार ले सकते हैं। छह दिन शिविर में हमें छत्तीसगढ़ी पदार्थो का भोजन देने का प्रयास रहता है। यहां हमारी विभिन्न संस्कृति से पहचान होती है। और शिविर में हो रहे सत्र तथा एक्टिविटी, खेल के अलावा विभिन्न राज्यों से, और जगह से आए दोस्त भी हमें बहुत कुछ सिखा देते हैं। शिविर में जो भी एक्टिविटी और टास्क्स हम करते हैं, उसमें हम सभी एक दुजे से अच्छे से घुल – मिल रहे थे। बातें कर रहे थे। हर एक नये व्यक्तित्व को जान रहे थे। हमारा समय अच्छी जगह और नए दोस्तों के साथ मस्त निवेश हो रहा था।
यहां जो कुछ भी हम सिखते है, वह हमारे अवचेतन मन को जगा कर अंदर से सोचने पर बाध्य करता है। हमारी धारणाएं क्या है? यह समझने में और उनको सही दिशा की ओर बढ़ने में यह हमें सहयोग करता है। बचपन से हमारी जो Conditioning, Nurturing and Bombarding हम पर हुई हैं, उसके अलावा एक स्वतंत्र व्यक्तित्व ( As an Independent Thinker ) होकर मुझे सोचना है। हमारे आंखों पर जो Lenses हैं वह मुझे जाननी हैं, समझनी है। “Your Mentality shapes your Reality” इस पर गहराई से विचार विमर्श करना है। जिसके काबिल बनने की पहली सीढ़ी मुझे यहां से प्राप्त हुई।
यह शिविर मुझे अच्छा लगा, क्योंकि यहां पर में, खुद को, अपने व्यक्तित्व ( Personality ) को अपने विचार और भावनाओं को Relevant कर पा रही थी। यहां एक Personal Touch महसूस हुआ। यहां पर मैं हर एक Diverse Personalities को समझने का प्रयास कर रही थी। मैंने यहां पर सिखा, ” ना सिर्फ अपना लेकिन अपने साथ साथ अपनों का भी जीवन सफल बनाएं।” खुद को Self-Explore करने का और अपने राज्य के बाहर Exposure का एक बहुत अच्छा माध्यम है यह शिविर।